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CG BREAKING : सरकारी शराब दुकानों पर अब भी निर्धारित कीमत से ज्यादा ओवररेट पर बेची जा रही है शराब, आबकारी विभाग नहीं कर रहा है नियमित मॉनिटरिंग…

260 रुपए में बेची जा रही है 240 रुपए वाली 180 ML की बोतल, अन्य ब्रांडो पर भी धड़ल्ले से चल रहा है, ओवर रेट का खेल, अवैध कमाई करने के चक्कर में प्लेसमेंट के कर्मचारियों द्वारा विभाग को लगाया जा रहा है चूना..

रायपुर, (The Grand Leakage News). प्रदेश में संचालित शासकीय शराब दुकानों में राज्य सरकार और आबकारी विभाग के लाख कोशिशों के बावजूद शराब के ओवर रेट को रोकने का दावा खोखला साबित हो रहा है। शासकीय शराब दुकानों में ओवर रेट यानी निर्धारित कीमत से अधिक पर शराब बेचे जाने का ताजा मामला प्रदेश की राजधानी रायपुर से सामने आया है।

सरकारी शराब दुकानों पर तय कीमत से अधिक पर बेचा जा रहा है शराब, निजी कंपनी के कर्मचारी प्रतिदिन कमा रहे हैं अवैध मुनाफा..

गौरतलब है कि प्रदेश सरकार ने 1 अप्रैल 2025 से शासकीय शराब दुकानों में कुछ ब्रांड्स के रेट कम किए हैं, लेकिन शराब दुकानों पर अब भी पुराने या उससे ज्यादा रेट वसूल कर प्लेसमेंट के कर्मचारी अवैध मुनाफा कमाने में जुटे हुए हैं। सरकारी शराब दुकानों पर आज भी निर्धारित कीमत से अधिक कीमत पर शराब बेच कर अवैध वसूली का खुल्ला खेल चल रहा है। सूत्रों की मानें तो 240 रुपए की हो चुकी शराब की बोतल 260 में बेची जा रही है, और 130 की जगह 120 में मिलने वाली गोवा वाली चिप रेंज ब्रांड की शराब भी अब तक 130 रुपए में ही बेची जा रही है। यानी सरकार भले ही शराब के दामों में कटौती कर चुकी हो, लेकिन प्लेसमेंट के कर्मचारियों द्वारा अवैध मुनाफा ‘ओवर रेट’ पर शराब की बिक्री कम होने का नाम नहीं ले रहा।

प्रदेश की राजधानी रायपुर के विभिन्न शराब दुकानों जिसमें पंडरी, मोवा, शंकर नगर से लेकर खरोरा जैसे ग्रामीण इलाकों तक ये गोरखधंधा प्लेसमेंट एजेंसी के अधिकारियों, कर्मचारियों के मध्य मिलीभगत से ही बेरोकटोक चल रहा है ओवर रेट का खेल। वहीं शहर के अंदर स्थित कई शराब दुकानों में रात 8 बजते ही और भीड़ होते ही इसका फायदा उठाकर प्लेसमेंट के कर्मचारियों द्वारा ओवररेट बिक्री शुरू करते हैं। वहीं कई शराब दुकानों पर तो कर्मचारी ग्राहकों से साफ बोल रहे हैं  कि रेट तो यही है, लेना है तो लो, नहीं तो निकलो। इस संबंध में एक सच्चे मदिरा प्रेमी ने बताया कि उसे हर बार ओवर रेट ही चुकाना पड़ता है, जबकि ऑनलाइन ऐप पर शराब के रेट कम दिखाए जा रहे हैं। शराब दुकानों पर विवाद का महत्वपूर्ण वजह ओवररेट ही होता है। 

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