MAHA KUMBH PRAYAGRAJ 2025 : विश्व के सबसे बड़े धार्मिक, आध्यात्मिक आयोजन की शुरुआत कल से, साधु संतों का होगा समागम, महाकुंभ में अध्यात्म और आस्था की लगेगी डुबकी…
महाकुंभ 2025 को लेकर प्रयागराज में देशभर के साधु-संतों का जुटान शुरू हो गया है। माघ मेला में कल्पवास के लिए लोग संगम तट पर पहुंचने लगे हैं। सनातन के इस सबसे बड़े आयोजन को लेकर योगी आदित्यनाथ सरकार तैयारियों को पूरा कराने में जुटी है।
महाकुंभ 2025 को लेकर प्रयागराज में देशभर के साधु-संतों का जुटान शुरू हो गया है। माघ मेला में कल्पवास के लिए लोग संगम तट पर पहुंचने लगे हैं। 13 जनवरी से प्रयागराज में विश्व के सबसे बड़े धार्मिक और आध्यात्मिक समागम Mahakumbh 2025 का आयोजन हो रहा है। 144 वर्षों में पहली बार यह अद्भुत संयोग बना है, जब महाकुंभ अमृत स्नान के शुभ अवसर पर है। गंगा यमुना और अदृश्य सरस्वती की त्रिवेणी संगम तट में लाखों श्रद्धालु पवित्र स्नान करेंगे।
MAHA KUMBH PRAYAGRAJ 2025 : हमारे भारत देश में हमारी संस्कृति पुरातन काल से चली आ रही है। भारतीय संस्कृति, अध्यात्म, आस्था का प्रतीक है महाकुंभ। 12 साल में आयोजित होने वाला यह महाकुंभ न केवल एक धार्मिक आयोजन है, बल्कि भारत की पौराणिक परम्पराओं और आध्यात्मिक विरासत का महाउत्सव है। प्रयागराज का संगम तट जहां तीन नदियों- गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती का संगम होता है, इस दिव्य आयोजन का केंद्र होता है। जहां 45 दिनों तक सनातन का सबसे बड़ा शक्ति केंद्र बनने जा रहा है।
आज हम आपको महाकुंभ की वो कहानी बता रहें हैं। जिसका इतिहास और धार्मिक महत्व इसे दुनिया का सबसे बड़ा और सबसे खास उत्सव बनाता है। देवों की पवित्र भूमि प्रयागराज, जहां मान्यता है कि जीवन-मृत्यु के चक्र से मुक्ति का मार्ग प्रशस्त होता है। ऐसी मान्यता है कि प्रयागराज में गंगा, यमुना और सरस्वती की त्रिवेणी संगम में स्नान करने से पुण्यों की प्राप्ति होती है और पापों का प्रायश्चित। महाकुंभ सिर्फ पाप से प्रायश्चित का अवसर ही नहीं है, बल्कि आत्मा की शुद्धि और मोक्ष प्राप्ति का मार्ग भी है।
हर 12 वर्ष में प्रयागराज में संगम के किनारे महाकुंभ का आयोजन होता है। प्रयागराज में आस्था का महाकुंभ 2025 इस वर्ष पौष पूर्णिमा के दिन यानी सोमवार 13 जनवरी 2025 से प्रारंभ होगा और 26 फरवरी 2025 महाशिवरात्रि को समाप्त होगा। महाकुंभ मेला का आयोजन हर 12 साल में एक बार होता है। महाकुंभ में दुनिया भर के संत-साधु व भक्त आस्था की डुबकी लगाते हैं। इस पावन अवसर पर देश-विदेश से आए करोड़ों श्रद्धालु संगम में आस्था की डुबकी लगाएंगे। 45 दिनों तक आयोजित होने वाले इस महाकुंभ में वीवीआईपी और वीआईपी लोगों के लिए भी खास तैयारी की जा रही है। इस महाकुंभ मेले में बाबाओं के अलग-अलग रंग देखने को मिल रहे हैं। कोई पेशवाई में अपने अनूठे करतब से अभिभूत कर रहा है तो कोई अपने अनूठे संकल्पों और प्रणों के कारण चर्चा में है।
महाकुंभ में 6 शाही स्नान अंतिम स्नान पर्व महाशिवरात्रि को..
महाकुंभ 2025 के दौरान शाही स्नान की छह तिथियां निर्धारित की गई हैं। प्रथम शाही स्नान पौष पूर्णिमा के दिन सोमवार 13 जनवरी को होगा। वहीं 14 जनवरी को मकर संक्रांति के दिन दूसरे शाही स्नान का आयोजन किया गया है। 14 जनवरी के मकर संक्रांति के शाही स्नान को ही अधिक महत्वपूर्ण माना जा रहा है। इस दिन इस महाकुंभ में सबसे अधिक श्रद्धालुओं के पहुंचने की संभावना है। इसके बाद तीसरा शाही स्नान 29 जनवरी को मौनी अमावस्या के दिन की तिथि निर्धारित की गई है। चौथा शाही स्नान बसंत पंचमी के दिन 3 फरवरी को होगा। मौनी अमावस्या और बसंत पंचमी के शाही स्नान को काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। इस तिथि को भी कुंभ में करोड़ों लोगों की भीड़ संगम तट पर पहुंचेगी।
इसके बाद कल्पवास मेला आगे भी निरंतर जारी रहेगा। संगम तट पर साधु-संतों का जमावड़ा रहेगा। वहीं बसंत पंचमी के बाद 12 फरवरी को माघी पूर्णिमा के दिन पांचवा शाही स्नान होगा। वही इस महाकुंभ 2025 का छठा और अंतिम शाही स्नान पर्व महाशिवरात्रि के दिन 26 फरवरी को आयोजित होगा। इस दिन भी करोड़ों की संख्या में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ने की उम्मीद है।