RAIPUR BREAKING: प्रतिबंधित प्लास्टिक का सरकारी शराब दुकानों में सर्वाधिक उपयोग – कन्हैया
ठेले खोमचे वालों पर कार्रवाई, निर्माण इकाइयों को खुली छूट, मिनरल वाटर पैकजिंग करने वाली इकाइयों में अब भी जोरो शोरो से चल रहा है पानी पाउच पैकिंग का कार्य।
सिंगल यूज प्लास्टिक पर पूरी तरह प्रतिबंध लगने के बावजूद भी धड़ल्ले से बिक रहा है, डिस्पोजल गिलास, पानी पाउच सहित अन्य प्रतिबंधित सामग्री..
(आकाश यादव). रायपुर, शनिवार, 05 अक्टूबर 2024: (The Grand Leakage News). छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस कमेटी के महामंत्री कन्हैया अग्रवाल ने प्रदेश में प्रतिबंधित प्लास्टिक के नाम पर छोटे छोटे दुकानदारों और ठेले खोमचे वालों पर होने वाली कार्रवाई को दिखावा बताते हुए कहा की सरकारी शराब दुकानों के अहातों में प्रतिदिन प्रतिबंधित पानी पाऊच और प्रतिबंधित डिस्पोजल गिलास हजारों की संख्या में बेचे जा रहे है, जिसके कारण पूरे शहरी क्षेत्र में नालियां जाम हो गई जिसके कारण डेंगू मलेरिया जैसे बीमारियों का खतरा हमेशा बना रहता है।
उन्होंने कहा की सरकारी दुकानों में प्रतिबंधित सामग्री बेचने वालों पर कार्रवाई की हिम्मत शासन प्रशासन नही जुटा पाता रहा। वहीं छोटी-छोटी दुकानों, सब्जी वालों, खोमचों से प्लास्टिक जप्ती को औपचारिकता बताते हुए कन्हैया अग्रवाल ने कहा की कार्रवाई करनी है, तो प्रतिबंध के बावजूद निर्माण करने वाले इकाई पर होनी चाहिये सख्त से सख्त कार्रवाई होनी चाहिए। यदि प्रतिबंधित सामग्री का उत्पादन ही बंद हो जायेगा तो बाजार में सामग्री उपलब्ध ही नहीं होगी। प्रतिबंधित प्लास्टिक के कारण गौवंश की मौत हो रही है, इसके साथ ही शहर में नालियों के जाम होने से मच्छर पनपते है जिससे डेंगू-मलेरिया जैसी बीमारी होने का खतरा बना रहता है।
गौरतलब है कि देश में 1 जुलाई 2022 से सिंगल यूज प्लास्टिक पर पूरी तरह बैन है. सरकार ने सिंगल यूज प्लास्टिक से बने 19 आइटम्स पर बैन लगाया है। वहीं प्रतिबंध के बावजूद छत्तीसगढ़ प्रदेश की राजधानी रायपुर सहित पुरे प्रदेश में प्लास्टिक कोटेड दोना-पत्तल, थर्माकोल की प्लेटों, प्लास्टिक गिलास के साथ ही पानी पाउच का खुलेआम विक्रय हो रहा है। वहीं दुकानदार बेखौफ होकर प्रतिबंधित पॉलिथीन में बेच रहे हैं सामग्री।
जुलाई 2022 में 120 माइक्रोन से अधिक मोटाई वाले कैरीबैग पर प्रतिबंध लगाने केंद्र सरकार द्वारा जारी किए गए हैं निर्देश.
गौरतलब है कि 1 जुलाई 2022 से केंद्र सरकार के निर्देश पर इन आइटम्स को बनाने, बेचने, स्टोर करने और एक्सपोर्ट करने पर पूरी तरह प्रतिबंध लगा हुआ है। ये प्रतिबंध इसलिए लगाया जा रहा है, ताकि सिंगल यूज प्लास्टिक के कचरे से होने वाले प्रदूषण को कम किया जा सकें साथ ही इसके खाने से जानवरों को होने वाले नुकसान को भी कम किया जा सकें।
पूर्व में राज्य शासन ने प्रदेशभर के कलेक्टरों व नगरीय निकाय प्रमुखों को पत्र लिखकर सिंगल यूज प्लास्टिक पर बैन लगने के बाद पाउच में पानी पैकिंग पर भी प्रतिबंध लगाने का निर्देश जारी किया है। नगरीय प्रशासन विभाग के संचालक ने प्रदेशभर के नगरीय निकाय के प्रमुखों की पूर्व में बैठक लेकर मिनरल वाटर बनाने वाले कंपनियां जो प्लास्टिक में पानी की पैकिंग कर रहे हैं उस पर तत्काल रोक लगाने का निर्देश जारी किया था है। इसके बावजूद नगर निगम और पर्यावरण संरक्षण मंडल द्वारा ऐसे करने वालों पर कार्रवाई नहीं कर रही हैं। आपको बता दें कि जिस प्लास्टिक में पानी की पैकिंग की जा रही है वह मानक में कम है और गुणवत्ताहीन होती हैं। जिसके कारण शरीर में इसका दुष्प्रभाव और विभिन्न प्रकार के बिमारी होने का खतरा बना रहता है।
प्रतिबंध के बावजूद भी बाजारों में नजर आ रहा है प्रतिबंधित कैरीबैग..
सिंगल यूज प्लास्टिक पॉलिथीन के उपयोग पर प्रतिबंध लगाने के बावजूद अब भी शहर के विभिन्न बाजारों, किराना दुकानों, ठेलों के अलावा छोटे छोटे दुकानों, सब्जी बाजार सहित विभिन्न स्थानों में खुलेआम बैन प्लास्टिक पर सामग्री दिया जाता है। नगर निगम का शुरुआत में इस पर अभियान चलाकर भूल गया है। अब भी नाले व नालियों में प्लास्टिक की पन्नी नजर आ जा रही है।
प्रतिबंध होने के बावजूद भी बाजार में मिलने वाले अधिकांश पानी पाउच में न तो पैकिंग तारीख अंकित होती है न एक्सपायरी डेट लिखी रहती है। अमानक पानी पाउच न जाने कितनी बीमारियों की वजह बन रही हैं। अधिकांश पानी पाउचों में न तो वाटर प्लांट का पता लिखा है न ही निर्माता का पता होता है। फिर भी पानी पाउच बाजार में धड़ल्ले से बेचे जा रहे हैं। ऐसे पानी पाउच के उपयोग से पीलिया, टाइफाइड, अल्माइजर आदि जैसी विभिन्न गंभीर बीमारियां होने की संभावना बनी रहती है।
इस तरह लगा सिंगल यूज प्लास्टिक पर प्रतिबंध..
पहला आदेश : छत्तीसगढ़ प्रदेश में तत्कालीन मुख्यमंत्री डा. रमन सिंह की सरकार में एक जनवरी 2015 से पालीथिन कैरीबैग पर पूर्णत: प्रतिबंध लागू हुआ। यह अधिसूचना 28 दिसंबर 2015 को जारी किया गया। इसके मुताबिक प्लास्टिक कैरीबैग का निर्माण, भंडारण, आयात, विक्रय या परिवहन पर प्रतिबंध लगाया गया। निर्देश के परिपालन में यह आदेश कुछ दिनों तक प्रभावी रहा। बाजार में पालीथिन जब्त करके जुर्माना लगाया गया पर इसके निर्माण पर कोई प्रतिबंध नहीं लगा।
दूसरा आदेश : डॉक्टर रमन सिंह के कार्यकाल में ही एक जुलाई 2017 से पालीथिन कैरीबैग पर प्रतिबंध का आदेश निकाला गया। किंतु यह आदेश भी पिछले बार की तरह ही अप्रभावी रहा।
तीसरा आदेश : वर्ष 2018 में सरकार बदलने के बाद पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के कार्यकाल में सितंबर 2021 को 75 माइक्रोन से कम के प्लास्टिक पर प्रतिबंध का आदेश जारी किया गया। जिसका असर यह हुआ कि सुर्खियों में आने के लिए नगर निगम प्रशासन समय-समय पर कार्रवाई के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति कर दुकानदारों पर ही कार्रवाई करती रही है लेकिन निर्माताओं पर नहीं वहीं इसके बावजूद बाजार में खुलेआम पालीथिन खपती रही।
चौथा आदेश : केंद्र सरकार द्वारा जुलाई 2022 में 120 माइक्रोन से अधिक मोटाई वाले कैरीबैग पर प्रतिबंध के निर्देश पर राज्य सरकार ने फिर कार्रवाई शुरू की है। जिसका प्रभाव यह रहा कि इस आदेश के पालन करने के लिए समितियां गठित की गई हैं। वर्तमान में 1 अगस्त 2022 से यह प्रभावी रूप से ज़मीनी स्तर में अमल में लाया गया था। लेकिन इस आदेश का कुछ दिनों तक सख्ती से पालन होने के बाद फिर इस प्रकार के उत्पादों का निर्माण, भंडारण, आयात, विक्रय अब भी वर्तमान में प्रदेश में धड़ल्ले से चल रहा है।